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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Nov 30, 2024

 

शक्तिशाली व्यक्ति या नेता अथवा धर्मगुरु -- इंसानियत के लिए शुभ नहीं होते !


अक्सर हम सुनते है की फलां नेता बुद्धिमान है और भला भी है -परंतु प्रकटिकाल नहीं हैं | इसका अर्थ यह होता है की वह व्यक्ति योग्य भले ही हो , परंतु "”लोगों के काम कराने लायक नहीं हैं | कुछ ऐसा ही हम राज्य और देश के नेत्रत्व के चुनाव मे भी सोचते है और करते है | लोकतंत्र को जनता द्वरा चुनी हुई सरकार समझा जाता हैं | परंतु हकीकत में ऐसा होता नहीं हैं | क्यूंकी हम उनमुद्दों पर अपना प्रतिनिधि चुनते है {अथवा चयन प्रक्रिया में भाग लेते है , जो हमारे चुनाव को वास्तव में प्रतिफलित करती ही नहीं हैं } जिनको जनता के शिक्षा - स्वास्थ्य - रोजगार और भोजन से कोई सरोकार नहीं होता | हालांकि सत्ता से जुड़े पार्टी के कार्यकर्ता से लेकर सर्वोच्च शिखर पर बैठे हुए व्यक्ति इन्ही मुद्दों को भाषणों से ---विज्ञपनों से और मीडिया के भिन्न तंत्रों में दुहराते सुन जाएगा| सत्ता के अन्य स्तरों पर भी इन वादों को दुहराया जाता है ---और शिखर पर विराजमान महाशय के “”शब्दों को ऐसे दुहराया जाएगा --मानो वे वेद सूक्ति हो ! हालांकि उनके शब्द “”ढपोर शंख “” ही होते है | काम से काम विगत दस सालों का अनुभव तो यही हैं |

वैसे इनको विश्व का एक ताकतवर नेता ही प्रचारित किया जाता हैं | वैसे दुनिया के सभी देशों के नेता राष्ट्रपति --प्रधान मंत्री आदि को विश्व के पटल पर ऐसे ही परोसा जाता हैं | अभी हाल मे संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव हुए , जिसमे डोनाल्ड ट्रम्प साहब विजयी हुए | अब दुनिया में तो क्या उनके अपने देश के बुद्धिजीवी - भी उनके वचनों और कर्मों को जानकार भयभीत है | पर उन्होंने अपनी निरंकुश और जिद्दी छवि के चलते मतदाताओ का मन मोह लिया है | हालांकि अमेरिका के मित्र राष्ट्रों को उनकी नीतियों का तो पता नहीं , परंतु उनके बयानों से वे काफी चिंतित है | बात चाहे यूक्रेन को सैन्य मदद की हो अथवा रूस से उसके विवाद की बात हो सभी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं | क्यूंकी पिछली बार की भांति अगर उन्होंने "”नाटो सैन्य संगठन मे सहायता देने से मना कर दिया {जिसकी उम्मीद ज्यादा है ]तब रूस के विरुद्ध यूरोप की लामबंदी थप हो जाएगी |

फलस्वरूप ट्रम्प अपनी "”महान"” छवि को मतदाताओ के सामने बनाए रखे , परंतु विश्व का शक्ति संतुलन तो भहर जाएगा | ऐसा नहीं की ट्रम्प स्थिति को जानते नहीं हैं , लेकिन वे अपनी महान छवि के लिए अमेरिका और दुनिया को एक ओर रख देंगे | उनकी छवि के बारे मे यही कहा जा सकता है की ---उनके विरुद्ध यौन उत्पीड़न --- रिश्वत देने और देश के कानून के तहत जांच मे असत्य बोलने के मुकदमे चल ही रहे हैं ! परंतु राजनीतिक दबाव और कानूनी प्रक्रिया के चलते अब उन्हे दोषी या अपराधी कैसे ठहराया जाएगा !

भारत मे उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने विरुद्ध अदालतों में चल रहे दर्जनों मुकदमों को अपनी कलम से वापस लिए जाने का सरकारी आदेश जारी कर दिया | फलस्वरूप वे एक शरीफ नागरिक बन गए ! अब ऐसा तो डोनाल्ड ट्रम्प भी कर ही सकते हैं | यानि शक्तिशाली होने के लिए वह सब कुछ करना जायज है जो नैतिक नहीं है | कुछ ऐसा ही कारनामा केन्या के राष्ट्रपति ने किया | जिन्होंने देहरादून के दी व्यवसायी भाइयों को सरकार ठेकों को अनाप -सयानप भावों मे दे दिया , इस प्रक्रिया मे मे उनको भी करोड़ों रुपये का अनीतिक लाभ भी हुआ | बाद मे हो हाल होने पर गुप्ता बंधुओ को भारत लौटना पड़ा | अभी अदानी समूह को भी जीतने ठेके मिले थे उन्हे केन्या सरकार ने रद्द कर दिया |


यंहा अदानी समूह का जिक्र भी जरूरी है , श्री लंका की पुरानी सरकार के समय मे अदानों बंधुओ को विद्युत छेत्र मे काफी बड़े ठेके वनहा की सरकार ने दिए थे | परंतु श्री लंका मे चुनाव मे साम्यवादी पार्टी को सत्ता मिली | तब उन्होंने अदानी बंधुओ का ठेका निरस्त कर दिया | परंतु भारत में अदानी समूह विद्युत उत्पादन मे सरकार को बहुत महंगे रेट पर कोयला बेचता था | कहा जाता है की झारखंड का कोयला आस्ट्रेलिया से घुमाया फिर बहुत मंहगे दामों पर सरकार को सप्लाइ किया | अब ईद धंधे मे सप्लाइ करने वाले और खरीदने वाले दोनों ही मालामाल हुए |


अब अमेरिका की अदालत ने अदानी समूह पर अमेरिकी निवेशकों के पैसे को "” रिश्वत के तौर पर भारतीय अधिकारियों को सोलर ऊर्जा के ठेके प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किया " जो की अमेरिकी कानून मे भयंकर अपराध हैं | अब होने को तो अदानी समूह भी बहुत "”शक्तिशाली है "”! अदानी समूह की हैसियत भारत के सत्ता के गलियारों मे अच्छे से जानी और मानी जाती है | उनके पहले जिओ यानि की अंबानी समूह की देश मे तूती बोलती थी | परंतु विगत पाँच -छह वर्षों से अब मोदी जी के प्रिय गौतम अदानी ही देश के व्यापार में --बैंक और स्टॉक मार्केट मे सुप्रीमो माने जाते है | तो यह है कुछ शक्तिशाली लोगों की कुंडली !!

Nov 29, 2024

 

राज्य की उत्पती का दैवी सिद्धांत -- महज लोगों को भयभीत करने का साधन था !


मानव समूहों - जातियों नस्लों और इलाकों पर पकड़ बनाने के लिए उस समय के "”बुद्धिमान "” लोगों ने सत्ता पर पकड़ बनये रखने के लिए "”राजा" और राज्य को उस "”पराशक्ति का आशीर्वाद बताया ----जिसे किसी ने नया तो देखा था और नया ही जाना था ! परंतु हर युग में शक्ति कि

सत्ता के चारों ओर लालची लोगों की भिनभिनाने की वाली भीड जमा हो जाती थी ---जैसा की आज भी होते देखा जा सकता है | हजारों वर्षों तक समाज के चतुर लोगों ने आम जनता की इस कमजोरी का लाभ उठाया | कुछ धरम गुरुओ ने भी इस धारणा को बल दिया | फलस्वरूप राजा को परमात्मा का दूत बता कर उसको पूजनीय स्थापित कर दिया , एवं उसकी '’’आज्ञा' को परमादेश बताते हुए उसकी अवहेलना को नया केवल '’’पाप '’ बताया बल्कि उसे अपराध भी घोषित किया | इसीलिए मानव इतिहास मे ऐसे राजाओ का ज्यादा जिक्र है ---जो अत्यंत अत्याचारी थे | उन्मे कुछ ने तो अपनी "”क्रूरता "” को ही अपनी विसहेसता सिद्ध करते रहे |

इन शासकों --राजाओ को अपनी इच्छा और अपने पुत्र -पुत्रियों और सगे संबंधियों का हित् परम धरम हुआ करता था |निज स्वार्थों मे ये शासक इतने लिप्त थे की दो पिद्दी से ज्यादा इनके राजवंश नहीं चले | इतिहास के जिन शासकों के वंश के लोगों ने राज किया ----वे कुक -कुछ ईमानदार थे ,और जनभिमुख थे | आज की राजनीति भी तब से अलग नहीं है | अरस्तू और सुकरात तब हुए थे तो आज भी लोग महात्मा गांधी पंडित नेहरू को उनके त्याग और न मूल्यों की रक्षा के लिए जाना जाता हैं |

जबकि हिटलर -मुसोलिनी -को अपने अहंकार के लिए जाना जाता है |


होने को लोकतंत्र मे चुनाव से नेता का चयन होता है , परंतु अक्सर चुने हुए नेता अपने अगल - बगल ऐसे स्वार्थी लोगों को एकत्र कर लेते है जो निहायत ही "””बेईमान "” साबित होते है | केन्या के राष्ट्रपति को इसलिए ही याद किया जाता रहेगा | अमेरिकी नव निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रम्प का अहंकार इतना ज्यादा बड़ा है की वे दो बार के राष्ट्रपति के चुनाव को अभी से संवैधानिक संशोधन द्वारा हटाना चाहते है | उन्हे ना तो फिलिस्टीनियों के नर संहार की चिंता है और ना ही बेसहारा बच्चों की भूख की और ना ही अन्तराष्ट्रिय सहायता एजेंसियों के हजारों कार्यकर्ताओ की हत्या की | नया ही बमबारी मे मारे जा रहे डाक्टरों -नर्सों की |

कितना हास्यास्पद है की एक राष्ट्र बेसहारा नागरिकों को अपने बमों का निशान बना रहा है ---जिनके पास अपनी रक्षा का कोई साधन नहीं हैं | लेबनान पर इजराइल के हमले के बाद वनहा की सेना ने "” द्रोण "” से हमले का जवाब दिया | तब यहूदी राष्ट्र घुटने पर टीका , और ध विराम किया | m


Nov 4, 2024

न्याय या फौरी इंसाफ -- कंगारू -य काजी का फैसला ?

 

न्याय या फौरी इंसाफ -- कंगारू -य काजी का फैसला ?


आजकल एक हवा चली है की कोई भी आपराधिक घटना हो जाए और मामला किसी पार्टी या संगठन से जुड़े व्यक्ति का हो तो तुरंत ही चक्का जाम या थाने का घिराव होना लाज़मी है ! और मामला बलात्कार का हो या लड़की को अगवा करने का हो तब तो फौरी इंसाफ की बात होती है ---मामला यह हो जाता है की आरोपी को भीड़ अपराधी घोषित कर देती है , भले ही कोई सबूत हो या नया हो ! इसमे राज नताओ और राजनीतिक पार्टियों की भी भूमिका काम नहीं ---वे भी आग में घी डालने का काम करते है , बशर्ते सरकार उनके विरोधी की हो , जैसा की बंगाल के कलकत्ता मे हुआ | हालत इतने उलझ गए की बंगाल की विधान सभा मे ममता सरकार ने एक कानून ही पारित कर दिया की बलात्कार के दोषी को फांसी की सजा दी जाए | अब सरकार में विधि सचिव की बुद्धि और ज्ञान सब कुछ मंत्री के आदेश के सामने लाचार हो गए |


दिल्ली में हुए निर्भया कांड में भी जनता ने ( राजनीतिक दलों नहीं लेने दिया गया था } ऐसी ही मांग रखी थी | केंद्र ने भी जनता की मांग पर सुप्रीम कोर्ट के सेवा निव्रत प्रधान न्यायाधीश वर्मा की अध्यक्षता मे एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया था | उन्होंने अपनी सम्मति मे लिखा था की आरोपी के लिए निर्धारित प्रक्रिया से ही अपराधी घोषित किया जा सकता है , तब ही उसे सजा दी जा सकती है | निर्भय कांड मे दोषियों को सजा "”फांसी"” सालों बाद दी जा सकी | लिखने का तात्पर्य यह है की दोषियों की गिरफ़्तारी और जल्दी सुनवाई की मांग तो की जा सकती है और उसे सरकार पूरा भी कर सकती है , पर सरकार किसी भी कानून द्वरा आरोपी को सजा नहीं दे सकती | अब यह स्थिति सभी राजनीतिक दलों और उनके नेताओ को मालूम भी होती है , परंतु राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए वे अपने भासनों मे आरोपियों को तुरंत लटकाये जाने की मांग करते रहते है | अब ऐसे नेताओ से कौन पूछे की किस "”विधि"” से आंदोलनकारियों की मांग को "”तुरंत" पूरा किया जा सकता है ? वे कभी भी इस सवाल का जवाब नहीं दे पाएंगे | क्यूंकी भारत में नये की एक प्रक्रिया है जो सभी देश के नागरिकों पर लागू होती है | अदालत के चे चरण होते है , पहला मजिस्टरेयत फिर सेशन कोर्ट तब हाई कोर्ट और अंत में सुप्रीम कोर्ट | सेशन कोर्ट दोषों को फांसी ई सजा सुन तो सकता है --- परंतु उस पर मुहर हाई कोर्ट का लगाना जरूरी है | अर्थात हाई कोर्ट तक मामले की सुनवाई तो होगी ही | अब आंदोलनकारियों की मांग को पूरा करने के लिए इन अदालतों को सभी काम छोड़कर उस एक मामले की सुनवाई के लिए तैयार बैठे !! ऐसा हो नहीं सकता क्यूंकी यह संभव ही नहीं असंभव ही है | तब बार क्यू दोषी को तुरंत फांसी देने का आश्वासन और कानून ?? सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ओक ने अभी अपने एक भसन मे कहा भी है की भीड को तुरंत न्याय देने के बयान बिल्कुल गलत है | यह न्याय प्रक्रिया को चोट पँहुचते है | तो यह है सुप्रीम कोर्ट की रॉय |


हाँ हरियाणा में पाँच युवकों ने जिन्हे गौ रक्षक बताया जा रहा ही उन्होंने एक कार मे सवार परिवार पर इसलिए गोलिया बरसा कर एक युवक की हत्या कर दी , क्यूंकी उनके अनुसार उन्हे सूचना मिली थी की कर में गौ तस्कर घूम रहे है | इसलिए उन्होंने कार का पीछा कर के चलती कार पर गोली वर्ष कर दी !! अब दो सवाल है की यह गौ तस्कर क्या होते हैं ? दूसरे गए की तस्करी किस प्रकार कार द्वरा की जा सकती है ??? हरियाणा की हिंदुवादी सरकार का रिकार्ड काफी खराब रहा है , गाय के परिवहन को गाय की तस्करी बात कर मुस्लिम लोगों को मारने -पीटने और यंहा तक की उनकी हत्या करने का भी मामला चल चुका है | जब राजस्थान के चार मुस्लिम ग्वालों को पीट -पीट कर मारने का | अदालत मे इस मुकदमे मे हरियाणा सरकार की काफी किरकिरी हुई थी | यंहा सवाल यह है की पुलिस को तो पूछने का जांच करने का अधिकार है ----- पर इन गौ भक्तों को किसी की तलाशी लेने या पूछने का अधिकार कान्हा से मिल गया | जरूर ही सरकार की शह पर पुलिस को पंगु बना कर विधि के राज को असफल करने का मामला हैं |