सरकार ने क्या किया बताने की जगह
मणिपुर की
अशांति मुद्दा था – जवाब नेहरू –इन्दिरा और
राजीव पर !
मोदी सरकार
के वीरुध अविश्वास का प्रस्ताव काँग्रेस पार्टी
का नहीं था , वरन यह नव
गठित इंडिया गठबंधन का था ! परंतु प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी और गृह मंत्री अमित
शाह के निशाने पर राहुल गांधी और उनका परिवार ही रहा | मजे की बात यह है की सरकार ने कोई ठोस उपायो की घोसना नहीं की | 90 नब्बे दिनो
के बाद भी वनहा हालत
को नियंत्रित करने में नाकाम बीजेपी की वीरेन सिंह की सरकार है ,और सरकार सिर्फ
उम्मीद कर रही है की “” मणिपुर में शांति का
सूरज निकलेगा “” | लोकसभा में प्रस्ताव पर बहस के लिए नियत समय का एक चौथाई मोदी जी के 2 दो घंटे से अधिक के उवाच में निकल गया |
वैसे एक खास बात यह हुई की लोकसभा अध्याकाश बिरला जी के बार –बार निर्देश पर की सत्ता पक्ष और
विपक्ष कोई नारे बाजी नहीं करेंगे , यानहा तक की उन्होने प्रधान मंत्री के भाषण के दौरान भी उन्होने सदस्यो को
चेतावनी दी , फिर भी
नारेबाजी नहीं रुकी !! कारण यह था की मोदी जी के भाषण का स्टाइल ही छत्र संघ के चुनावों जैसा था – जिसमे नेता के कथन के बाद उत्तर के रूप में बीजेपी सांसद जवाबी नारा लगते थे | मोदी
जी के तुकबंदी वाले चिरपरिचित शैली , उनके जनसभाओ के भाषण का ही रूप था | उनका भाषण किसी
भी आकार से सदन के “ वाद – विवाद “” जैसा तो नहीं था | शायद प्रधान
मंत्री को बहस में शामिल होने का अनुभव नहीं
है | इसीलिए वे हर स्थान पर एक जैसा ही वक्त्वय देते रहते है | इस सिलसिले वे यह भी भूल जाते है की कौन सा स्थान
है और किस विषय पर बोल् ना है |
चलिये
अविश्वास प्रस्ताव पर मोदी जी और अमित शाह के कथनो को पारखे की वे संसदीय प्रणाली के
कितने अनुरूप थे |
जैसा की ऊपर बता चुके है की – मुद्दा मणिपुर में केंद्र की नाकामी का था ----
पर सरकार की ओर के सभी वक्ताओ ने अपना हमला
राहुल और पहले की नेहरू और इन्दिरा गांधी की तथा राजीव गांधी की सरकारो को जिम्मेदार बताया | विगत 9 साल से मोदी सरकार का यह फार्मूला रहा है की –जब भी कोई समस्या हो नेहरु
–इन्दिरा की सरकारो को दोषी बताओ | सवाल यह है की समस्या वर्तमान में है – और समाधान की ज़िम्मेदारी आप की है – परंतु दोषी
हमेशा पहले की सरकार बताओ | इस घिसे
पीटे तरीके से अब लोग ऊब गए हैं |
अब जरा
यह भी परख लेते है की मोदी जी के कथन में कितनी
सत्यता है ? उन्होने प्रथम प्रधान मंत्री पंडित
जवाहर लाल नेहरू के चीन के आक्रमण के समय - आसाम के वासियो के प्रति सहानुभूति वायक्त की थी | उसे मोदी जी
ने बताया की जब लोग मदद की उम्मीद कर रहे थे तब उन्होने कुछ नहीं किया | अब वास्तविकता यह है की तब पूर्वोतर
में रेलवे लाइने बिछाई जा रही थी नॉर्थ ईस्ट फ़्रोंटियर रेलवे डिवीजन का गठन हुआ ही था | उस असहाय स्थिति में देश के नेता ने सहानुभूति व्यक्त की थी | मोदी
जी ने आज तक मणिपुर में कुकी जनजाति के नर
संहार पर सहानुभूति के दो बोल भी नहीं “”मन
की बात “” तक में नहीं बोले !!!
उन्होने
1962 में अशासन्त मिजोरम में उग्रवादियो को विदेशो से मिलने वाली हथियारो की आपूर्ति पर रोक लगाने के लिए वायु सेना ने बम बारी
की थी | जिससे वनहा शांति स्थापित हुई | मोदी जी
इस बार अमरतसर में गोल्डेन टैम्पल को आतंकवादी भिंडरनवाले के गिरोह के कब्जे से आज़ाद करने के लिए इन्दिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार किया था , जो भारतीय
सेना द्वरा किया गया था | क्या एक आतंकवादी को खतम करना
गलत था ? हो सकता है की मोदी जी भूल गए | मोदी जी भुला गए की वह इन्दिरा जी
ही थी जिनहोने अमेरिका की धम्की के बावजूद बंगला देश में
फौज भेजी थी , और 90 नब्बे हजार सैनिको को युद्ध बंदी बनाया था | और पाकिस्तान प्रधान मंत्री भुट्टो
को शांति वार्ता के लिए मजबूर किया था | अपने साहसिक फैसले की कीमत देश पर अपनी जान कुर्बान कर के दी थी | राजीव गांधी
ने श्री लंका में तमिल उग्रवादियो पर नियंत्रण
के लिए पहल की थी जिसकी कीमत उन्हे भी अपनी माता के समान देश पर जान कुर्बान कर के दी |
राहुल
गांधी को सुप्रीम कौर्ट से राहत मिलने के कारण
-
बौखलाए हुए सत्ता पक्ष ने -- सारा ज़ोर राहुल की आलोचना में लगाया --- विषय पर
सरकार की ओर से अपुष्ट तथ्य ही बोले गए , जब वीओढ़ी वक्ताओ ने जानना चाहा की – क्यू नहीं मंत्री लोगो ने मणिपुर का दौरा किया
? तब महिला मंत्री ने
कहा की 50 दिनो में अनेकों मंत्री वनहा गाये हैं ! परंतु ना तो वे दिनाक बता पायी ना ही वे कोई सबूत दे पायी की कोई
मंत्री { अमित शाह के
अलावा }}} नहीं गाय था |
सारी बहस
ऐसे हो रही थी की सत्ता पक्ष --- विपक्ष के वीरुध सदन में बहस कर रहा हो | जबकि अविश्वास प्रस्ताव सरकार के वीरुध था | सत्तरुड दल के वक्ताओ को जैसे बता दिया गया हो की
मणिपुर को छोडकर सिर्फ काँग्रेस के भूत काल और वर्तमान काल के नेत्रत्व पर ही हमला
करना है |
बॉक्स
प्रधान मंत्री
नरेंद्र मोदी ने सदन में 2 दो घंटे के भाषण
में काँग्रेस के लिए कहा की --- यूपीए का क्रियाकर्म करके अब इंडिया बनाया है ----- वे भूल गाये की गोधरा कांड के समय अटल जी के ताप से बचाने वाले लाल क्राइष्ण आडवाणी
समेत लोगो ने “” अपने
औरस संस्था
“” जनसंघ “” का क्रिया कर्म करके ही मुंबई
के आज़ाद मैदान में नया नामकरण भारतीय जनता
पार्टी हुआ था !!!! काँग्रेस का विभाजन विगत 100
सालो में भले ही दासियो बार हुआ , परंतु एक धारा हमेशा सतत बहती रही | रही 400 से 40 सांसदो में सिमटने की --- तो प्रधान मंत्री जी लोकसभा में आपकी भी पार्टी मात्र 2 दो सदस्यो पर सिमट गयी थी \
काँग्रेस
को देश के विभाजन का दोषी बताने का जवाब यह
है की जब का पित्र संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज़ादी के खिलाफ था | वह इसलिए की की सत्ता का हस्तांतरण महात्मा गांधी और काँग्रेस को किया जा रहा था | जबकि उस समय आपकी हैसियत सार्वजनिक जीवन में कुछ भी नहीं ही | 1935 में जब प्रांतीय सरकारो के लिए चुनाव हुए तब भी आरएसएस
का राजनीति में कोई नामोनिशान नहीं था | तब भी प्रांतो में काँग्रेस की सरकारे ही बनी थी , सिवाय पंजाब के, आज भी काँग्रेस की हिमांचल – कर्नाटक
–और राजस्थान तथ छतीसगरह में सरकार है |
जिस प्रकार से उन्होने काँग्रेस
पार्टी को लूट की दुकान और झूठ का बाजार – जनता लगाएगी ताला ,कहा , उसका जवाब तो राहुल गांधी का लोकसभा में वह वक्तव्य
तहा जिसमे उन्होने ,
परधान मंत्री और गौतम अदानी के संबंधो के बारे में कहा था | जिस पर
समूचा बीजेपी संसदीय दल शोर मचाने लगा था | रही बात झूठ की -- तो मान्यवर अमेरिका में आपने सार्वजनिक रूप से भाषण में कहा था की भारत में प्रत्येक वर्ष आई आई टी और एक आई आई एम खुल रहा है ---जबकि लोकसभा में आपके शिक्षा राज्य
मंत्री एक सवाल के जवाब में बताते है की देश में आखिरी आई आई टी 2011 में पूर्वोतर में खुला था | अब आप ही बताए की झूठ का बाजार कौन
लगाए बैठा हैं |