मौसम है
ज़िना और क़तल के गुनहगारों को आज़ादी मिलने का !
गुजरात के गोधरा नर संहार की घटना
के बाद सबसे भयंकर बलात्कार और हत्या की घटना
– 3 मार्च 2002 को दाहोद में बिलकीस बानो कांड ! जिसमे 11 ग्यारह हिन्दुओ ने एक मुस्लिम परिवार के सात लोगो की हत्या की और गर्भवती बिलकीस बानो के
साथ सामूहिक बलात्कार किया | दोषियो को उच्च न्यायालय से आजीवन कारावास की सज़ा हुई
अचानक 16 अगस्त को सभी 11 अपराधियो को गुजरात सरकार द्वरा उनके “” अच्छे आचरण और व्यवहार के आधार पर उनकी सज़ा
को घटा दिया !! “” जब सभी अपराधी पंद्रह साल बाद जेल से रिहा हुए तब विश्व हिन्दू
परिषद ने उन सभी का स्वागत माला पहना कर और
तिलक लगा कर किया गया | समाचार पत्रो मे खबर आने के बाद विवाद शुरू हुआ | गजब की बात है की जिस कानून के अंतर्गत अपराधियो को सज़ा में छूट दी गयी उसे दो वर्ष पूर्व ही निरस्त किया जा चुका हैं | विवाद होने पर गुजरात की बीजेपी सरकार ने कहा की
इन बंदियो के अच्छे आचरण के कारण छूट दी गयी
| जब यह
तथ्य सामने आया की केंद्रीय कानून निरस्त हो
चुका हैं ---तब राज्य सरकार ने कहा की केंद्रीय गृह मंत्रालय यानि अमित शाह जी का साम्राज्य ! से भी इस मामले में सहमति प्रापत
की जा चुकी थी !
किस्सा यह हैं की इन 11 दोषियो की ओर
से सुप्रीम कोर्ट में सज़ा माफी के लिए अर्ज़ी लगाई गयी थी | जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को निर्देश दिया था की वे इनकी “अर्ज़ी”
पर विचार कर निर्णय ले | जिसका परिणाम 15 अगस्त 2022 को
जेल से आज़ाद किए जाने वाले बंदियो में इन 11
अपराधियो को भी रिहाई मिल गयी | जब बिलकीस बानो के परिवार को यह खबर लगी -तो उन लोगो ने पुलिस में शिकायत
दर्ज़ कराई की इन अपराधियो से उनके परिवार को जान और माल का खतरा हैं , वरन वे दाहोद छोडकर दूसरी जगह बस्ने के लिए
तैयारिया की |
7 नवंबर को सुप्रीम
कोर्ट ने दिल्ली के छपला कांड के समूहिक बलात्कार और हत्या के तीनों अपराधियो को रिहा
करने का फैसला सुनाया ! जबकि ज़िला अदालत और दिल्ली हाइ कोर्ट ने इसे निरभ्या कांड जैसा निरूपित किया था |
इस मामले में एक युवती से तीनों लोगो
ने सामूहिक बलात्कार करने के बाद उसके गुपतंगों
में चोट पहुंचाई और हत्या कर दिया ! सुप्रीम
कोर्ट ने अपने फैसले में ज़िला और उच्च न्यायालय
द्वरा जिन सबूतो को आधार मान कर सज़ा सुनाई थी , उन तर्को को सिरे से खारिज कर दिया !!!!
11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की श्रीपेरंबदूर में लिट्टे आतंकवादियो
द्वारा
आतमघाती बम हत्याकांड के 6 छह अपराधियो को रिहा करने का फैसला सुनाया ! इस पर काँग्रेस पार्टी ने विरोध जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में रिवियू अर्ज़ी लगाने की घोसना की हैं |
केंद्र
सरकार भी अर्ज़ी लगाने जा रही इस फैसले के खिलाफ |
पिछले छह माह में सुप्रीम
कोर्ट के इन फैसलो से उतना ही जन मानस क्रोधित
हैं , जितना
पुलिस या गुजरात सरकार से | लेकिन इतने महत्वपूर्ण मामलो
में दोषियो को सरकार द्वरा अथवा अदालत द्वारा रिहा किया जाना ---- फैसला तो हो सकता हैं परंतु
न्याय नहीं !