ये इमारते
भर नहीं ऐतिहासिक विरासत है--
धरोहर हैं ---
गवाह हैं सरकारो
के आने -जाने
की
मोदी
सरकार का ऐलान संसद भवन ऊपर
से तो पहले जैसा पर अंदर
से.........
केन्द्रीय
मंत्री हरदीप सिंह पूरी ने
धनतेरस के दिन ऐलान किया की
संसद भवन और इंडिया गेट से
राष्ट्रपति भवन तक में बदलाव
का निर्माण कार्य 2022
तक
पूरा कर लिया जाएगा ,
जिससे
की उस वर्ष का संसद का सत्र
नए "”
रूप
"”
में
हो !
इस
योजना पर 12
हज़ार
करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान
हैं !!
आज
जब सरकार को अपना खर्च चलाने
में कठिनाई हो रही है ,
सार्वजनिक
बैंको का विलय करना पद रहा हो
----इस
भय से कनही इनकी हालत भी निजी
या सहकारी बैंको जैसे "”पंजाब
महाराष्ट्र बैंक "
की
हुई !
ऐसे
में देश की जनता का ख्याल छोडकर
"”
संसद
सदस्यो के '’’आराम
'’
के
लिए संसद भवन के ऐतिहासिक
"”गुंबद
"”
के
नीचे आधुनिक पाँच सितारा
सुविधा सुलभ करने के लिए जनता
का पैसा खर्च करना अर्थात
पैसा फूँकना ही होगा !!
यह
वैसा ही होगा की जैसा खड़ी के
देशो में महिलाए "”
नकाब
या बुर्का के नीचे पेरिस के
फैशन के कपड़े पहना दिये जाये
!
अब
उन्हे क्या कहेंगे ?
प्रगतिशील
अथवा परंपरावादी कठमुला पैन
???
कुछ
ऐसा ही मोदी सरकार का प्रयास
हैं की
बाहर
से वह परंपरावादी अतिहासिक
रूप बनाए रहे ----
भले
ही चेहरे के नीचे भाग में
आपरेशन कर के सारे अंग -
प्र्तयांग
बदल दे !!!
____________________________________________________________________बॉक्स
राष्ट्रीय
स्वयं सेवक संघ के अनुगामियों
को राष्ट्र की संसक्राति में
भगवा चोला और लाल दुपट्टा तथा
मौके बेमौके संघ की "”काली
टोपी "”
लगाना
हैं |
एवं
कुछ घिसे -
पीटे
नारे दुहराते रहना है |
यह
सब तो अकेले करने की कवायद
हैं |
भीड़
में होने पर जय श्री राम का
नारा लगाना और किसी मजबूर
और कमजोर गैर सनातनी को अपनी
कुंठा से निकली हिंसा का शिकार
बनाना !
जैसे
राजस्थान और जे एन यू तथा उत्तर
प्रदेश में हुआ हैं |
उत्तर
प्रदेश की बीजेपी सरकार के
ठाकुर मुखिया ने बुलंद शहर
के इंस्पेक्टर सुरेन्द्र
सिंह की राष्ट्रीय स्वयं सेवक
संघ के ज़िला संयोजक के नेत्रत्व
में हत्या किए जाने के मामले
की जांच अभी भी पूरी नहीं हुई
हैं !!!
ये
तत्व हैं नए इतिहास के
लिखने
और बनाने वाले !
इतिहास
हमारी विरासत हैं – जिसकी गवाह
उस वक़्त की इमारते ---है
या कोई अन्य जगह हैं |
हम
दिल्ली को देवता इन्द्र की
नगरी और द्वारिका को कृष्ण
के साम्राज्य की राजधानी
मानते हैं |
क्यो
इन्हे विरासत मानते हैं ?
क्यो
नहीं इन्हे "””
इमारत
"”
भर
मान ले !
क्योंकि
यह हमारी धार्मिक भावना के
'’प्रतीक
है '’’’
| इतिहास
के भाग हैं |
मोदी
जी पुरातत्व संरक्षण कानून
के अनुसार कोई भी इमारत जो
सौ वर्ष पुरानी हो चुकी हो
----उसे
एतिहासिक धरोहर का दर्जा मिल
जाता हैं |
जिन
भवनो को आप अंदर से रद्दो -
बदल
करने की बात कर रहे हैं ---वे
भी धरोहर हैं |
देश
के बदलते इतिहास की गवाह हैं
| इनको
मत "डिस्टर्ब
'’
कीजिये
!
___बॉक्स
बंद
____________________________________________________________________________________________________________________________________
इसी
दिन महाराष्ट्र और हरियाणा
विधान सभा के चुनाव परिणाम
घोषित हुए थे जिसमे भारतीय
जनता पार्टी को भारी शिकष्त
मिली थी |
2014 के
विधान सभा चुनावो में जनता
ने नरेंद्र मोदी जी के चेहरे
पर बीजेपी को "”पूर्ण
बहुमत "”
दे
कर फड्नविस और खट्टर की सरकार
बनवाई थी |
परंतु
2019
में
जनता ने इनके "””बहुमत
"””
को
खतम कर दिया !
मजबूरन
मोदी औरशाह की जोड़ी को घुटने
टेक कर शिवसेना और चौटाला
की दस माह पुरानी पार्टी से
मिल कर सरकार बनानी पड़ी !!
वैसे
सरदार हरदीप सिंह पूरी के
लिए निजी तौर पर बेहद खुशी का
कारण हो सकता हैं ,
क्योंकि
इसी दिन कनाडा में एक सिख जगमीत
सिंह को कनाडा का "”उप
प्रधान मंत्री "””
बनाया
गया
!!
वनहा
पर प्रधान मंत्री त्रुदो की
पार्टी को संसद में बहुमत नहीं
मिला ---------
परिणाम
स्वरूप त्रुदो को भी जग्मीत
सिंह के साथ साझा सरकार बनानी
पड़ी !!
इसी
पराजय की बेला में हमेशा की
तरह मोदी सरकार ने जनता के
सामने एक नया "”
झुनझुना
"””
रख
दिया |
वैसे
इस झुनझुने को लेकर बहुत विवाद
होने की संभावना हैं |
विश्व
के लोकतान्त्रिक देशो की संसद
"”
ऐतिहासिक
इमारतों में हैं |
उनका
अपना एक इतिहास हैं |
चाहे
वह ब्रिटेन हो अथवा अमेरिका
या फ्रांस सभी की विधायिका
और कार्यपालिका सैकड़ो साल
पुरानी इमारतों में स्थित
हैं |
भारतीय
संसद भी "”सौ
साल पुरानी -अतिहासिक
विरासत की इमारत में स्थित
हैं "””
| एक
पौराणिक आख्यान हैं की ---
पहचान
तो "”सर
से होती हैं कबंध {गले
के नीचे का भाग }
से
नहीं !
कुछ
वैसा ही नरेंद्र मोदी की सरकार
कर रही हैं |
परंतु
अतिहासिकता उसकी मौलिकता
में है "”
गांधी
-की
विरासत उनके साबरमती आश्रम
को उसी स्वरूपमें बनाए रखने
की हैं |
ना
की किसी बड़े बिल्डर द्वरा
पाँच सितारा काँच का चमचमाता
भवन बनाए में !
इलाहबाद
अर्थात प्रयाग स्थित आनद
भवन की एतिहासिकता वनहा की
कुर्सी मेजों और दरवाजे को
बादल कर आधुनिक बनाने में नहीं
हैं ----वरन
उसे ज्यो का त्यो बनाए रखने
में हैं |
आज
भी लंदन में संसद भवन पर्यटन
के नक्शे में एक स्थान हैं
----
महारानी
का निवास बकिंघम पैलेस भी लोग
देखने जाते हैं |
उन्हे
वनहा 15
या
16
वी
सदी का इतिहास देखने को मिलता
हैं |
अमेरिका
का काँग्रेस भवन और व्हाइट
हाउस भी अपनी पुरातनता को
"”बरकरार
रखे हुए हैं "””
पेरिस
में पलेस द एलिसी में भयानक
आग लाग्ने से वह खंधर हो गया
|
परंतु
वनहा की सरकार और लोगो ने इसकी
एतिहासिकता बरकरार रखने का
निश्चय किया |
अर्थात
उसे पुनः मूल स्वरूप प्रदान
करने का निर्णय किया |
यद्यपि
इस कार्य में अत्यधिक खर्च
होने का अनुमान हैं |
परंतु
फ़्रांसीसियों ने कहा की वे
अपनी सभ्यता और परंपरा की
निशानी को ज्यो का त्यो रखेंगे
|भले
ही कितना ही खर्च ना हो जाये
! दूसरी
ओर हमारे नरेंद्र मोदी जी है
---- जो
विरासत को भौतिक मूल्य और
हैसियत से देखते हैं |
दुनिया
में पर्यटन का नाम ही हैं पुरातन
विरासत ------
अगर
कोई भारतीय बिगबेन घड़ी की
फोटो वाला पिक्चर कार्ड भेजता
है -तब
उसका अर्थ हैं की उसने लंदन
में इस स्थान की यात्रा की हैं
| रोम
का स्टेडियम हो या आगरे का
ताज महल फ्रांस का एफिल टावर
हो या अफ्रीका सफारी सभी
एतिहासिक या प्राकर्तिक
विरासत है उस छेत्र के निवासियों
को |
अब
पुरातनता को संरक्षित रखने
के लिए ना केवल प्रत्येक देश
में कानून बने हैं वरन
अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी इनकी
निगरानी होती हैं |
अफगानिस्तान
में जब आतंकवादियो ने बामीयन
स्थित बुद्ध की प्रतिमा को
तोड़ा था -तब
दुनीय के सभी देशो ने उन
जिहादियों से अपील की थी की
वे विरासत को हानी नहीं पहुंचाए
, क्योंकि
वे किसी छेत्र या जाति अथवा
धरम विशेस की ही नहीं वरन
मानवता के इतिहास के लिए जरूरी
हैं |
इन
धरोहरों में ही उस छेत्र का
इतिहास होता हैं ,
आज
हम चार से पाँच हज़ार साल पुरानी
सिंधु घाटी हो या हरियाणा में
राखी गड हो ये सब अपने समय की
सभ्यता की निशानिया हैं |
जो
बताती है की यनहा के निवासी
कितने सभ्य और विकसित जीवन
व्यतीत करते थे |
एक
बात और हैं की मोदी जी देश की
भुखमरी और बेकारी को दूर करने
लिए आप कोई आसफुद्दौला नहीं
है -----
जो
लोगो को रोटी देने के लिए
इमारत तामीर करा रहे हैं !!
आप
एक निशानी को मिटा रहे हैं |
भारत
में भावनाओ का बड़ा महत्व हैं
| हम
गाय को पशु ना मान कर माता मान
कर उसको पूजते है सेवा करते
हैं |
महिलाए
अपनी मांग में चुटकी भर सिंदूर
को ही सुहाग का चिन्ह मानती
हैं ,
भले
ही वह एक रंग हो |
यह
भावना ही तो हैं जो गेरुआ
वस्त्र धारी को झुक कर प्रणाम
करती हैं ------
भले
ही वह साधु के भेष मैं व्यभिचारी
हो |
भावना
ही हैं जिसके कारण देश में
कल्कि महराज या – राम रहीम
अथवा आशाराम या रामलाल को
परमात्मा का प्रतिनिधि मान
लोग पूजते हैं |
अतः
भारत सरकार को संसद भवन और
राष्ट्रपति भवन से इंडिया
गेट तक के प्रस्तावित निर्माण
को रोक दे |
क्योंकि
यह भगत सिंह के बम फेकने की
घटना का गवाह हैं तो संविधान
सभा की बैठको और देश की आज़ादी
की घोषणा की गवाह इस इमारत
के आंतरिक भाग में फेर बादल
का मतलब होगा की हम ---अपने
राजनीतिक पूर्वजो का सम्मान
नहीं करते |
मोदी
जी आरएसएस को सौ साल होने मैं
वक़्त हैं -----और
सौ साल बाद ही कुछ इतिहास होता
हैं |